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Safed Musli: इस फसल की करें बिजाई, 2 बीघा जमीन में कमाएं 12 लाख रुपये सालाना, जानिए पूरी प्रक्रिया

क्या है सफेद मूसली?
 
safed musli

राजस्थान के टोंक जिले के सोप कस्बे के किसानों ने परंपरागत खेती छोड़कर अब औषधीय फसलों की ओर रुख किया है, और उनमें भी सफेद मूसली (Safed Musli) की खेती से किसानों की किस्मत बदल रही है। जहां पहले एक बीघा से बमुश्किल कुछ हजार की आमदनी होती थी, वहीं अब 2 बीघा जमीन से 12 लाख रुपये सालाना की कमाई हो रही है।

क्या है सफेद मूसली?

सफेद मूसली एक बहुउपयोगी औषधीय पौधा है, जिसकी जड़ों का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है। यह कमजोरी, स्तनपान में वृद्धि, अस्थि रोग, आर्थराइटिस, कैंसर, मधुमेह और नपुंसकता जैसी बीमारियों में लाभदायक है। इस कारण से इसकी मांग देश-विदेश की दवा कंपनियों में तेजी से बढ़ रही है।

कब और कैसे करें सफेद मूसली की बुआई?

  • बुआई का समय: जून-जुलाई में सबसे उपयुक्त होता है। हालांकि सिंचाई की सुविधा हो तो किसी भी समय बुआई की जा सकती है।

  • भूमि की तैयारी: दोमट, रेतीली दोमट या लाल मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। pH मान 7.5 तक होना चाहिए।

  • जल निकासी जरूरी: खेत में पानी का जमाव न हो, वरना फसल खराब हो सकती है।

  • बीज की मात्रा: एक बीघा जमीन के लिए 4 से 6 क्विंटल गूदेदार जड़ों की जरूरत होती है। बीज के टुकड़े 5 से 10 ग्राम के होने चाहिए।

उत्पादन और मुनाफा

एक बीघा में करीब 40,000 पौधे लगाए जा सकते हैं। इनमें से यदि 35,000 पौधे भी सफल रहें, तो 10 से 12 क्विंटल गीला कंद प्राप्त होता है, जो सूखने पर 3-4 क्विंटल रह जाता है।

  • बाजार मूल्य: सूखी मूसली का रेट ₹1 लाख से ₹1.5 लाख प्रति क्विंटल तक जाता है।

  • कमाई का आंकलन: 2 बीघा से 6-8 क्विंटल सूखी मूसली मिलने पर कम से कम ₹12 लाख रुपये सालाना की आमदनी संभव है।

  • लागत के मुकाबले मुनाफा: करीब 60% तक शुद्ध लाभ

कहां बिकती है मूसली?

नीमच मंडी (मध्य प्रदेश) और इंदौर के सियागंज जैसे बड़े बाजारों में मूसली की अच्छी कीमत मिलती है। इसके अलावा दवा कंपनियां और औषधीय उत्पाद निर्माता सीधे किसानों से खरीददारी भी कर रही हैं।

सफेद मूसली की खेती पर सरकार का सहयोग

सरकार औषधीय फसलों को बढ़ावा देने के लिए अनुदान भी देती है। किसानों को चाहिए कि वे अपने जिले के उद्यान विभाग से संपर्क करें और योजना की जानकारी लें।

मोहन लाल नागर: किसानों के लिए बने मिसाल

सोप ग्राम पंचायत निवासी मोहन लाल नागर ने सफेद मूसली, अश्वगंधा, मोरिंगा, अकरकरा जैसी औषधीय फसलों की खेती कर 14 बीघा भूमि में जैविक खेती का उदाहरण प्रस्तुत किया है। वे अब तक 500 से अधिक किसानों को मुफ्त प्रशिक्षण दे चुके हैं और बीज से लेकर बाजार तक की पूरी सहायता प्रदान कर रहे हैं।

क्यों करें सफेद मूसली की खेती?

  • पारंपरिक फसलों की तुलना में 8 गुना ज्यादा आमदनी

  • औषधीय गुणों के कारण बाजार में मांग बढ़ती जा रही है

  • जैविक खेती से जमीन की उर्वरता बनी रहती है

  • किसानों के लिए स्वदेशी वैकल्पिक आय का स्रोत

निष्कर्ष: अगर आप भी खेती से बेहतर मुनाफा चाहते हैं तो सफेद मूसली की खेती एक बेहतरीन विकल्प बन सकती है। थोड़ा ज्ञान, सही मार्गदर्शन और बाजार की समझ से आप भी सालाना लाखों कमा सकते हैं।

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