Sociology of religion : हरे कृष्ण आंदोलन (Hare Krishna Movement) पर प्रकाश डालें।
Sociology of religion : वैष्णव परंपरा में हरे कृष्ण नाम-स्मरण पंच अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण और प्रसिद्ध है। इसके सदस्य सिर को मुंडवाकर रखते है। यहाँ वे तबला और तम्बूरा बजाते है तथा हरे कृष्ण मंत्र का मंत्रोच्चारण करते हैं और साथ ही नाचते, गाते और घूमते हैं।
हरे कृष्ण जो इस्कॉन के नाम से विख्यात है, एक अत्यंत ही परंपरागत आंदोलन है किंतु पश्चिम और पूर्व से इसे अतिरिक्त रूप रंग और व्यापकता दी गई है।
Sociology of religion : उनका दैनिक मानवंड अत्यंत ही ऊँचा है। उन्हें बह्मचारी का जीवन व्यतीत करना होता है और भगवान कृष्ण जो उनके लिए भक्ति के स्रोत हैं कि भक्ति सेवा में घंटों गुजारने पड़ते हैं।
इसमें आधुनिक योग और मंत्रोच्चारण को स्पष्ट कर सकेंगे। रहस्यवादियों सिद्धों, मक्ति और भक्त के प्रकार का विस्तारपूर्ण वर्णन किया गया है।
Sociology of religion : इस इकाई में इस्कॉन के उद्देश्य के विषय में बताया गया है, तत्पश्चात् इस्कॉन के इतिहास के विषय में चर्चा की गई है। हरे कृष्ण था इस्कॉन मतालम्बी भगवान कृष्ण को ईश्वर मानते हैं.
इस्कॉन गुरुओं की दीर्घ परंपरा पर आधारित है, जिन्होंने दीर्घकाल के लिए गुरु से शिष्य को उत्तराधिकार सौंपा है। इस प्रकार उनकी गुरुओं की परंपरा है।
Sociology of religion : इसमें चार शिष्य उत्तराधिकार है जिन्हें सम्प्रदाय कहा जाता है। इस सम्प्रदाय में अनेक शाखाएँ तथा खंड है और इस्कॉन सोसायटी 16 वीं शताब्दी में श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा स्थापित शाखा से उद्भूत है। इस्कॉन का लक्ष्य श्रीमद्भगवतगीता ज्ञान के आधार पर कृष्ण भक्ति के द्वारा समाज का कल्याण करना है।