खेड़ी के साहिल ज्याणी को पहले प्रयास में मिली सफलता, बचपन में देखा सपना किया साकार

  बचपन से ही दौड़ को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना, परिवार में खुशी का माहौल 

 

हरियाणा  के सिरसा जिले के नाथूसरी चौपटा क्षेत्र में खेड़ी के साहिल ज्याणी को पहले प्रयास में मिली सफलता, बचपन में लकड़ी की बंदूक से खेलकर देखा सपना साकार किया 

कहते है मजबूत इच्छाशक्ति, निरंतर अभ्यास और अनुशासन से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। ऐसे ही कर दिखाया है पैंतालिसा क्षेत्र के गांव खेड़ी के 18 वर्षीय युवा साहिल ज्याणी ने । महज 18 वर्ष की आयु में अग्निवीर जैसी कठिन और प्रतिस्पर्धी भर्ती प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पार कर साहिल ने यह सिद्ध कर दिखाया है कि सच्ची लगन और मेहनत के आगे संसाधनों की कमी कोई मायने नहीं रखती।

साहिल ज्याणी ने न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। साहिल ज्याणी ने इसी वर्ष रामपुरा ढिल्लो स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की। साहिल ने अपनी अधिकतर शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त की है ।

साहिल के पिता एक किसान है और माता गृहणी है । अग्निवीर भर्ती परीक्षा का अंतिम परिणाम 19 नवंबर को जारी हुआ, जिसमें साहिल का नाम चयनित सूची में था। इस गौरवपूर्ण सफलता के बाद, साहिल  6 महीने की कड़ी सैन्य ट्रेनिंग पूरी करेंगे।

 बचपन का सपना:  लकड़ी की बंदूक से शुरू हुआ सफर

साहिल की माता राजबाला ने भावुक होते हुए बताया कि उनका बेटा बचपन से ही  सपना देखा करता था। उन्होंने बताया कि साहिल बचपन में लकड़ी की बंदूक बनाकर खेलता था और खुद को फौजी समझता था। उसने बहुत कम उम्र में ही अनुशासन अपनाया और दौड़ को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया। उसने कभी अपने लक्ष्य से समझौता नहीं किया। मां ने गर्व के साथ बताया कि साहिल परिवार का पहला सदस्य है, जो सरकारी सेवा में चयनित होकर भारतीय सेना का हिस्सा बना है।

किसान पिता बोले— सीमित संसाधनों में भी बेटे ने कर दिखाया

साहिल के पिता दलीप सिंह, जो पेशे से किसान हैं, ने बेटे की सफलता पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि अग्निवीर की चयन प्रक्रिया बेहद कठिन होती है। उन्होंने कहा, “किसान का बेटा होने के बावजूद साहिल ने अपने दम पर यह मुकाम हासिल किया है। यह सिर्फ हमारे परिवार के लिए नहीं, बल्कि उन सभी ग्रामीण युवाओं के लिए गर्व की बात है जो सीमित साधनों में भी बड़े सपने देखते हैं।”

गांव और क्षेत्र के युवाओं के लिए बने प्रेरणास्रोत

साहिल ज्याणी की यह उपलब्धि गांव खेड़ी सहित पूरे नाथूसरी चौपटा क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। उनकी सफलता ने युवाओं को संदेश दिया कि सीमित संसाधनों के बावजूद सच्ची लगन और मेहनत से सफलता प्राप्त की जा सकती है । उनकी कहानी आज के युवाओं के लिए एक बड़ा प्रेरक संदेश है कि वे अपने लक्ष्य निर्धारित करें और देश सेवा के लिए तत्पर रहें।