"तुम्हारा गुस्सा भी प्यारा है – जान से प्यारी साथी के लिए एक खत"

मेरी ज़िंदगी की सबसे हसीन साथी के नाम,
सबसे पहले तो ये कहना चाहता हूँ कि तुम्हारा गुस्सा भी मुझे उतना ही प्यारा लगता है, जितनी तुम्हारी मुस्कान। क्योंकि वो गुस्सा इस बात का सबूत है कि तुम्हें मेरी परवाह है, तुम मेरे शब्दों और हरकतों से जुड़ी हो, और तुम मुझसे बेपनाह मोहब्बत करती हो।
मैं जानता हूँ, कभी-कभी मैं तुम्हारी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाता। कभी बातों में, कभी व्यवहार में, और कभी अपनी व्यस्तता में तुम्हारा दिल दुखा बैठता हूँ। लेकिन सच मानो, मेरा इरादा कभी भी तुम्हें तकलीफ़ देने का नहीं होता। मैं तो बस तुम्हारी ज़िंदगी को आसान बनाना चाहता हूँ, लेकिन कई बार खुद ही उलझ जाता हूँ।
तुमसे दूर होकर, या तुम्हें नाराज़ देखकर मेरे दिन अधूरे लगते हैं। तुम मेरी दुनिया की रौशनी हो। तुम्हारी हँसी मेरे दिन की सबसे खूबसूरत शुरुआत होती है, और तुम्हारा साथ मेरे जीवन की सबसे बड़ी दौलत है।
तुम्हारा हर लफ्ज़, हर शिकायत, मेरे लिए मायने रखती है। और मैं वादा करता हूँ कि तुम्हारे दिल को फिर कभी दुखी नहीं करूंगा। तुम्हारी आँखों में आँसू नहीं, सिर्फ़ खुशी और भरोसा देखना चाहता हूँ।
अगर कभी अनजाने में तुम्हारा दिल दुखाया हो, तो मुझे माफ़ कर दो। मुझे अपनी बाहों में फिर से जगह दे दो, ताकि मैं उस प्यार को फिर से महसूस कर सकूं, जो तुम्हारी नज़रों में, तुम्हारी हर बात में छिपा रहता है।
तुम्हारा गुस्सा जायज़ है, लेकिन मेरी मोहब्बत उससे कहीं ज़्यादा गहरी है।
चलो फिर से मुस्कुराएं, फिर से बातें करें, और फिर से एक-दूसरे की दुनिया को खूबसूरत बनाएं।
तुम्हारा ही,
मेरी नाराज़ परी के नाम,
तुमसे बात न हो तो जैसे सब कुछ अधूरा सा लगता है। तुम जब गुस्से में होती हो ना, तो सच कहूं – डर भी लगता है और प्यार भी और गुनाहगार जैसा महसूस करता हूँ। तुम्हारा गुस्सा सिर्फ गुस्सा नहीं होता, उसमें तुम्हारा प्यार, अधिकार और तुम्हारी उम्मीदें होती हैं – जो तुम मुझसे रखती हो।
शायद मेरी कोई बात तुम्हें चुभ गई हो, या मैंने किसी बात पर तुम्हारा साथ नहीं दिया। मैं हर उस पल के लिए माफ़ी मांगता हूँ, जो तुम्हारे चेहरे से मुस्कान चुरा ले गया। मुझे एहसास है कि मैंने तुम्हें वो तवज्जो नहीं दी जिसकी तुम हकदार हो। लेकिन यकीन मानो, मेरे लिए इस दुनिया में सबसे अहम इंसान तुम हो। तुम ही तो मेरी ज़िंदगी की सबसे हसीन वजह हो।
याद है जब पहली बार तुम हँसते-हँसते खुद ही मेरी बाँहों में आ गई थी? काश उस एक पल को मैं रोक पाता... और हम बस यूं ही रहते – न कोई गुस्सा, न कोई दूरी।
मुझे तुम्हारा यूं बात बंद कर देना अच्छा नहीं लगता। मैं चाहता हूँ कि तुम मुझसे डांटो, मुझे सुनाओ, पर मुझसे दूर मत हो। क्योंकि तुमसे दूर रहना मेरे लिए सांस रोक देने जैसा है।
आज बस इतना कहना चाहता हूँ –
"तुम्हारा गुस्सा मुझे मंजूर है, पर तुम्हारी खामोशी नहीं।
तुम्हारा ताना भी चलेगा, बस तुम्हारा साथ मत छीनना।"
चलो, अब गुस्सा छोड़ो। तुम्हारी मुस्कान और तुम्हारा साथ ही मेरा सबसे बड़ा ईनाम है।